Friday, February 24, 2017

गांव की समृद्धि के लिए सबसे पहले बिजली चाहिए

मई 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आई, तो सबसे बड़ा सवाल यही था कि किसके अच्छे दिन आएंगे और कब आएंगे। अच्छे दिनों का हर किसी का पैमाना अलग है और इसी लिहाज से हर कोई अच्छे दिन आ गए या आने वाले हैं, की बात कर सकता है। लेकिन, इतना जरूर है कि ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण, समृद्धि की इतने सलीके से चिन्ता करने वाली ये पहली सरकार है। ढेर सारी ऐसी योजनाएं हैं, जिसके आधार पर मजबूती से ये बहस की जा सकती है कि ये सरकार देश के गांवों के लिए क्या कर रही है। और इस सबमें एक योजना ऐसी है, जो चमत्कारिक कही जा सकती है। सिर्फ योजना चमत्कारिक नहीं है। इसे पूरा करने की रफ्तार भी चमत्कारिक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब सत्ता संभालने के साल भर बाद कहाकि देश के सभी गांवों में अगले 1000 दिनों में बिजली पहुंचा दी जाएगी। तो भारत में पिछली सरकारों के काम करने के तरीके के आधार पर ये न पच पाने जैसा एलान था। खैर, दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना कैसे और किस तेजी से काम कर रही है, इसकी चर्चा में आगे करूंगा। पहले ये बात कर लें कि आखिर प्रधानमंत्री को इस योजना की जरूरत क्यों पड़ी।
आजादी के 67 साल बाद 21वीं सदी में जब दुनिया के कई देश अलग-अलग मोर्चों पर तरक्की की योजना बना रहे थे, तो भारत एक बड़ी मुश्किल से जूझ रहा था। भारत के 18452 गांव ऐसे थे, जहां बिजली नहीं पहुंच सकी थी। इसी से समझा जा सकता है कि भारत में पिछली सरकारों ने जो भी योजना बनाई होगी, उसकी खानापूरी किस तरह से की गई होगी। क्योंकि, बिना बिजली के गांव में खेती से लेकर कंप्यूटर, संचार क्रान्ति तक क्या हो सकता है, इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है। दरअसल हिंदुस्तान में पिछली सरकारों ने बड़े लक्ष्य के आधार पर बहुत कुछ तय ही नहीं किया। इसीलिए हर गांव में बिजली जैसी सरकारी योजना हो और उसे पूरा करने का बीड़ा खुद प्रधानमंत्री उठाए, ये सोचा भी नहीं जा सकता था। मैं उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की कुंडा तहसील की ग्रामसभा सिया के चंदई का पुरवा से हूं। मुझे याद है कि मेरे अपने गांव में 1971 में हमारी ट्यूबवेल के लिए बिजली दी गई थी। और उसके लिए हमारे बाबा जो रेलवे सर्विस कमीशन, इलाहाबाद में थे, उन्होंने कितनी मशक्कत की थी। लेकिन, वो बिजली सिर्फ ट्यूबवेल के लिए मिली थी। घर में बल्ब जलने में उसके बाद भी काफी समय लग गया। और, 4.5 दशक पहले खेती के ट्यूबवेल के लिए भी बिजली हासिल करने के लिए किसी बड़े नेता से सम्पर्क पहली शर्त थी। और मुझे याद है कि अभी भी जब मैं प्रतापगढ़ में अपने कई रिश्तेदारों के यहां जाता हूं, तो बिजली के बिना ही वो अपनी जिन्दगी चला रहे हैं। 4G की संचार क्रान्ति के युग में देश के 18452 गांव अभी तक बिना बिजली के हैं। इसी से समझा जा सकता है कि इस सबसे जरूरी मोर्चे पर सरकारों ने कितना निराशाजनक काम किया है। यही वजह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ये बड़ा जरूरी लक्ष्य प्राथमिकता में अपने हाथ में लेना पड़ा।
25 जुलाई 2015 को पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना का विधिवत शुभारंभ किया। उसी दिन उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने इसी योजना की शुरुआत की। पीयूष गोयल ने ऊर्जा मंत्री के तौर पर प्रधानमंत्री का इस बेहद महत्वपूर्ण योजना की साख बरकरार रखी है। 76000 करोड़ रुपये के बजट वाली ये योजना मोदी सरकार की साख तो है ही, ग्रामीण भारत को दुनियावी गांव का हिस्सा बनाने की जरूरी शर्त भी। 25 जुलाई 2015 से लेकर अभी तक 7779 गांवों तक बिजली पहुंचा दी गई है। अब सवाल ये है कि क्या इतनी तेजी से कोई सरकारी योजना लागू की जा सकती है। इसका अंदाजा लगाने का सबसे अच्छा तरीका मुझे समझ में आया कि इस योजना को लागू करने वाली एजेंसी के दफ्तर में कुछ घंटे बिताया जाए। संयोगवश बस्ती के सांसद हरीशचंद्र द्विवेदी से चर्चा की, तो उन्होंने कहा चलिए मेरे साथ। बस्ती संसदीय क्षेत्र से ही ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने इस योजना की शुरूआत की है। इस योजना को पूरा करने का जिम्मा REC यानी रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड पर है। आरईसी के दफ्तर में आपको एक अलग ही कैलेंडर दिखेगा, जिस पर कोई संख्या लिखी हुई है। दरअसल ये 1000 दिनों वाला कैलेंडर है और पूरे रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन के दफ्तर में हर बीतते दिन के साथ एक दिन सभी मेजों पर रखे इस कैलेंडर में भी कम हो जाता है। हर दिन कितने गांव में, कितना काम हुआ, इसकी सीधी देखरेख की जाती है। उस दफ्तर में करीब 4 घंटे बिताने के बाद मुझे समझ में आया कि ये कितनी बड़ी सरकारी योजना भारतीय गांवों की खुशहाली की बुनियाद तैयार कर रही है। इसीलिए मैं कह रहा हूं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना पूरी होने वाली दुनिया की सबसे बड़ी योजना साबित होगी।
रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन कॉर्पोरेशन के दफ्तर में दिख रही हलचल जमीन में कितनी खरी है। इसका अंदाजा लगाने के लिए मैं बस्ती शहर से 28 किलोमीटर दूर रुदौली नगर पंचायत क्षेत्र के मुड़ियार गांव गया। इस गांव में बिजली नहीं थी। इस ग्रामसभा में कुल 11 पुरवे हैं, जिसमें से सिर्फ 1 पुरवा में बिजली थी। मुड़ियार के किसान रवि प्रताप सिंह ने बताया कि बिजली आने के बाद हमें सबसे बड़ा फायदा तो खेती में ही हुआ है। हमने बिजली से चलने वाला पम्प लगवा लिया है। अभी तक हमारे यहां टीवी बैट्री से चलती थी, इसीलिए हम लोगों ने कलर टीवी भी नहीं लगवाया था। बिजली आने के बाद हमारे गांव में रंगीन टीवी आई। हमारी दुनिया रंगीन हो गई और हम पूरी दुनिया से जुड़ गए। हमारे घरों में पंखे लग गए हैं। हमारे बच्चे भी अब रोशनी में ज्यादा पढ़ पाते हैं। पहले गांव में मोबाइल चार्ज करना भी एक बड़ी मुश्किल थी। बैट्री से ही मोबाइल चार्ज करना पड़ता था। अब मोबाइल, इंटरनेट ने गांव के लोगों को ग्लोबल विलेज का हिस्सा बना दिया है। आजादी के करीब 7 दशक बीतने के बाद ये एक गांव के परिवार की दुनिया रंगीन कर देने भर की योजना नहीं है। ये योजना है, भारत के रोशन गांवों के दुनिया के साथ चमकने की। और ये लक्ष्य पूरा होता दिख रहा है। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना को लागू करते समय ही सरकार ने कुछ लक्ष्य तय किए। और वो लक्ष्य ऊपर के उदाहरण से काफी हद तक पूरे होते दिख रहे हैं।
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना पूरी होने के बाद देश में कोई भी गांव और गांव का कोई भी घर बिना बिजली के नहीं रहेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा खेती को मिलने वाला है। सरकार का लक्ष्य है कि प्रति एकड़ पैदावार इससे बढ़ाई जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी किसान की आमदनी दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करने में भी ये मददगार होगा। हर घर में बिजली और गांव में बिजली पहुंचने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित छोटे और घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। गांव में उद्यमिता बेहतर होने से लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सकेगा। कितनी बार खबर आती है कि बिजली न होने से किसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीज को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा तक ठीक से न मिल सकी। इससे प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा बेहतर होगी। साथ ही शिक्षा का स्तर भी बेहतर करने में मदद मिलेगी। अभी जिन गांवों में बिजली नहीं है, वहां सूरज की रोशनी गई मतलब पढ़ाई बंद। सरकार हर किसी का खाता खुलवा रही है। और बैंकिंग सुविधा हर गांव तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है। बिजली पहुंचने से गांव में भी एटीएम की सुविधा मिल सकेगी। गांव वाले भी बिना बैंक गए रकम निकाल सकेंगे। सूचना और मनोरंजन के साधन बेहतर होंगे। रेडियो, टीवी, इंटरनेट, मोबाइल गांव की जिन्दगी का नियमित हिस्सा बनेंगे। गांव में बिजली पहुंचने से सुरक्षा बेहतर होगी। पुलिस के लिए भी सहूलियत होगी। पुलिस थाने के साथ ही पंचायतघर भी रोशन होंगे। कुल मिलाकर दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना से गांवों में बसने वाले भारत को तरक्की मिलने के साथ दुनिया के साथ हर मोर्चे पर बराबरी से कदमताल करने का अवसर मिल सकेगा।
(ये लेख श्यामा प्रसाद मुखर्जी #SPMRF शोध संस्थान की पुस्तक परिवर्तन की ओर में भी शामिल किया गया है।)

No comments:

Post a Comment

हिन्दू मंदिर, परंपराएं और महिलाएं निशाने पर क्यों

हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi अभी सकट चौथ बीता। आस्थावान हिन्दू स्त्रियाँ अपनी संतानों के दीर्घायु होने के लिए निर्जला व्रत रखत...