Saturday, June 04, 2022

अक्षय कुमार को पृथ्वीराज बना देखने से अच्छा है कि, पृथ्वीराज को पढ़ लीजिए

 हर्ष वर्धन त्रिपाठी



सम्राट पृथ्वीराज की कहानी बड़े पर्दे पर लेकर डॉक्टर चंद्र प्रकाश द्विवेदी रहे हैं, इसे लेकर भारत के ही नहीं विश्व भर के हिन्दुओं में उत्साह और जिज्ञासा थी, लेकिन जब भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट के तौर पर पृथ्वीराज को बताया गया तो इसी से समझ गया था कि, फिल्म हिट कराने के लिए पृथ्वीराज को अंतिम हिन्दू सम्राट बता दिया गया है। यशराज फिल्म्स और गीत लेखक के तौर पर वरुण ग्रोवर के होने से मेरी आशंका बहुत बढ़ गई थी और मैं बहुत कोशिश करके भी अक्षय कुमार को महान सम्राट पृथ्वीराज और मानसी छिल्लर को संयोगिता की भूमिका में न्याय करते नहीं देख पा रहा था, लेकिन मुझे लगा कि, इस विषय पर फ़िल्म बनी यही बहुत बड़ी बात है 



और जब देश के गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस फ़िल्म का प्रचार करते देखा तो मुझे लगा कि, यकीनन हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज की गौरवपूर्ण कहानी देखने को मिलेगी। यही सोचकर हम सपत्नीक फिल्म देखने गए। फिल्म की शुरुआत गजनी में आँख फोड़ने के बाद पृथ्वीराज की वीरता से जुड़े दृश्यों के साथ हुई। चंदबरदाई की भूमिका में सोनू सूद का कहा सुनकर सम्राट पृथ्वीराज की भूमिका निभा रहे अक्षय कुमार तीन शेरों को निपटा देते हैं। लगा कि, कम से कम यशराज फिल्म्स वाली भव्यता के साथ सम्राट पृथ्वीराज की कहानी जानने-समझने को मिलेगी, लेकिन यह भ्रम एक झटके से शीशे की तरह चकनाचूर हो गया जब टाइटल सांग बजने लगा। समझ में गया कि, डॉक्टर चंद्र प्रकाश द्विवेदी से चाणक्य के दोहराव की उम्मीद करना ही गलत था। उस गाने से वरुण ग्रोवर ने पृथ्वीराज का सम्मान किया या मजाक बनाना दिया, समझना थोड़ा कठिन है। ठीक उसी तरह जैसे पूरी फिल्म  देखकर समझ नहीं आएगा कि, महान सम्राट पृथ्वीराज के महान व्यक्तित्व को यह फिल्म उभारकर लोगों के मन मस्तिष्क में अंकित करने जा रही है या फिर पृथ्वीराज की छवि को धूमिल करने की कोशिश है। कोशिश करके अगर यह फिल्म नहीं देख रहे हैं तो कुछ ही देर में ऊबन शुरू हो जाती है। अक्षय कुमार को जवान पृथ्वीराज बनाने में जो किया है, अक्षय कुमार गजब का नमूना लग रहा है। संयोगिता की भूमिका में मानुषी छिल्लर ने कोई प्रभाव नहीं छोड़ा है, सिवाय इसके कि, विश्व सुन्दरी को सुन्दर वस्त्र पहनाकर नृत्य कराया गया है जो कुछ लोगों की आंखों को लुभा सकता है। संवाद अदायगी या चेहरे पर भाव, इसकी कोई भी कल्पना आपके मन में है तो आपको भयानक निराशा होगी और सिर्फ़ मानुषी छिल्लर नहीं, पृथ्वीराज की भूमिका में अक्षय कुमार, चंदबरदाई की भूमिका में कवि और ज्योतिषी सोनू सूद और संजय दत्त ने तो बेड़ा गर्क ही कर दिया है, हँसोड़ काका हो गए हैं जबकि, उनकी भूमिका चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने एक ऐसे योद्धा की बनाई है जो पृथ्वीराज के सामने किसी को मूँछों पर ताव देते देख नहीं पाता और इसीलिए पृथ्वीराज ने उसकी आँखों पर पट्टी बांधने का आदेश दिया है। प्रेम और युद्ध के समय ही हंसोड़ काका पट्टी खोल सकते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि, हँसोड़ काका की पत्नी काकी का निधन हो चुका है तो चंदबरदाई जब कहता है कि, काका प्रेम के लिए पट्टी खोलने की गुंजाइश तो आपकी रही नहीं, काका का जवाब आता है कि, यहाँ कहां कहा है कि, सिर्फ़ काकी से प्रेम करना है। और, सब ठठाकर हंस पड़ते हैं। फिल्म मध्यांतर तक इतनी बोझिल हो चली कि, मैंने और मेरी पत्नी ने तय किया कि, अब समय खराब करने का मतलब नहीं है। डॉक्टर चंद्र प्रकाश द्विवेदी और अक्षय कुमार के भरोसे जागरूक हिंदुओं का एक बड़ा वर्ग इस फिल्म को हिट करा सकता है, लेकिन ऐतिहासिक फिल्म के साथ इतना अन्याय करने वाली फिल्म देखने से बचने की ही मेरी सलाह होगी। पृथ्वीराज रासो के आधार पर सम्राट पृथ्वीराज की वीरता, ज्ञान और उस समय के साम्राज्य के संकट के बारे में ही कुछ अच्छे से पता चलता तो भी मैं कहता कि, फिल्म देख आइए। जयचंद की भूमिका में आशुतोष राणा और उनकी पत्नी की भूमिका में साक्षी तंवर ही अभिनय की दृष्टि से देखने लायक हैं। पृथ्वीराज रासो के मुताबिक़, पृथ्वीराज 14 भाषाओं के ज्ञाता थे। अचूक धनुर्धर थे। हां, फिल्म की शुरुआत में ही एक अटल सत्य आपके मन मस्तिष्क को अवश्य बींध देगा कि, कोई भी आक्रांता हो, भारतीय योद्धाओं से हारा ही है। यह अलग बात है कि, हिन्दू राजाओं ने हमेशा दया दिखाकर विदेशी आक्रमणकारियों को छोड़ा है और फिर विदेशी आक्रमणकारियों ने दूसरे हिन्दू राजाओं को साथ लेकर हमला बोला और क्रूरता की पराकाष्ठा कर दी। यह तथ्य फिर से स्थापित करने के लिए लोगों के मन मस्तिष्क में जागृत करने के लिए ही इस फिल्म को सही ठहराया जा सकता है, लेकिन इतने के लिए इतनी बड़ी फिल्म देखने से अच्छा है कि, पृथ्वीराज पर लिखे ग्रंथों को खोजकर पढ़ लिया जाए। और, यकीन मानिए, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी दिल्ली और लखनऊ में इस फिल्म के प्रीमियर में शामिल होकर मन ही मन गुस्से में होंगे, यह अलग बात है कि, सार्वजनिक जीवन में होने की वजह से गुस्सा सार्वजनिक भी नहीं कर सकते। 

2 comments:

  1. यकीन मानिए, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी दिल्ली और लखनऊ में इस फिल्म के प्रीमियर में शामिल होकर मन ही मन गुस्से में होंगे, यह अलग बात है कि, सार्वजनिक जीवन में होने की वजह से गुस्सा सार्वजनिक भी नहीं कर सकते।

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  2. Fir to ab nhi dekhenge .. Kyun time kharab krna ..

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