#JyotiSingh #JusticeForNirbhaya #JusticeJuvenileDebate
लोकसभा टीवी पर चर्चा में शामिल हुआ। विषय था कि
विपक्ष ने कांग्रेस की अगुवाई में राज्यसभा के बचे 3 दिन में जरूरी बिल की मंजूरी की इजाजत दे दी है।
चर्चा में जाने से पहले जब इस पर पढ़ा, तो भौंचक रहा गया। सहमति के बिलों में कई महत्वपूर्ण बिल थे ही नहीं।
सबसे दुखद सम्वेदनहीन रवैया रहा सांसदों का The
Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Bill, 2014 पर। ये वो बिल है जो 16-18 साल के किसी युवक-युवती के अपराधी होने पर उनके खिलाफ भी वयस्कों के
यानी देश के सामान्य कानून के लागू होने की बात करता है। लेकिन, सरकार की लगातार
कोशिश के बावजूद कांग्रेस की अगुवाई वाला विपक्ष पता नहीं क्यों इस बिल को मंजूरी
देने के बजाए इसे फिर से सेलेक्ट कमेटी को भेजना चाहता है। अगर ये बिल मंजूर हो
जाता तो निर्भया का बलात्कारी/हत्यारा जेल से नहीं छूटता। ये देश के सांसदों की
संवेदनहीनता है। उस पर दिल्ली पुलिस ने कमाल किया है कि बेटी के बलात्कारी/हत्यारे
को छोड़ने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे ज्योति सिंह के माता-पिता को गिरफ्तार कर
लिया। दुर्भाग्य है देश का। ज्योति के माता-पिता ने कहा है कि हम हार गए, वो जीत गया। मुझे
लगता है कि सचमुच हम हार रहे हैं। 16 दिसंबर के बाद एक चैतन्य दिखा देश हार रहा है। स्वस्थ समाज हार रहा
है। इस हार को जीत में बदलना जरूरी है। हिंदुस्तान की आत्मा जीवित रहे। इसके लिए
जरूरी है। हर हाल में जरूरी है। कुछ सांसदों को उनकी पार्टी को जीवित रखने के लिए
देश की आत्मा को मारने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Saturday, December 19, 2015
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एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी
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