Tuesday, August 05, 2014

मैकाले की बौद्धिक संतान

मैकाले को गाली देते देते हम कब मन के काले हो गए पता ही नहीं लगा। लड़ाई ही गलत हो रही है। IAS में C-SAT रहे या खत्म हो। क्या यही लड़ाई है। ये लड़ाई आगे बढ़े। @narendramodi की सरकार पर ये दबाव बने कि हर बात हिंदी में करने का अधिकार भारत में नहीं मिलेगा तो कहां मिलेगा। अच्छा है मौके से बात शुरू हो गई है। अदालत से अधिकारी क्लर्क बनने तक हिन्दी, भारतीय भाषाओं को मौका मिले। बताइए क्या अंग्रेजी वालों का डर है कि शरद यादव जैसे लोग भी कह रहे हैं कोई अंग्रेजी के खिलाफ नहीं है। कमाल है बरसों से अंग्रेजी ने हिन्दी को खिलाफ खड़े होने लायक नहीं छोड़ा और अवसर आया लड़ाई का तो बात ये कि हिन्दी या भारतीय भाषाएं अंग्रेजी के खिलाफ नहीं हैं। बिल्कुल खिलाफ हैं। कम से कम कम वहां तक तो पक्का ही जहां तक हिन्दी या दूसरी भारतीय भाषाओं का हक अंग्रेजी मार रही है। जोर से बोलो हम हिंदुस्तान में अंग्रेजी के सरकारी उपयोग के खिलाफ हैं। निजी जीवन में मैं भी चाहता हूं ज्यादा से ज्यादा भाषा सीख सकूं। सब सीखें। सब अपना भाषा ज्ञान बघारें। कौन मना करता है।

No comments:

Post a Comment

हिन्दू मंदिर, परंपराएं और महिलाएं निशाने पर क्यों

हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi अभी सकट चौथ बीता। आस्थावान हिन्दू स्त्रियाँ अपनी संतानों के दीर्घायु होने के लिए निर्जला व्रत रखत...