Thursday, July 29, 2010

मनमोहन जी आप भी!


अपने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी गजब भोले हैं। कह रहे हैं कि जब अच्छे मॉनसून की वजह से फसलें अच्छी हो जाएंगी। देश में अनाज और दूसरी जरूरी चीजों की अधिकता हो जाएगी तो, दिसंबर तक महंगाई अपने आप कम हो जाएगी।

अब मनमोहन जी तो सचमुच बहुत सीधे आदमी हैं। वो, बहुत कठिन समीकरणों को न राजनीति में समझने की कोशिश करते हैं न महंगाई के मामले में। इसीलिए दूसरा कार्यकाल आराम से पूरा करते दिख रहे हैं। लेकिन, चूंकि वो अर्थशास्त्री हैं तो, आंकड़े जरूर समझते हैं।


कुछ आंकड़े मेरे पास हैं वो, मैं पेश कर रहा हूं खुद ही अंदाजा लग जाएगा कि ये महंगाई किसी मांग-आपूर्ति के असंतुलन का नतीजा है क्या ?


2006 के बाद से लगातार हमारा अनाज का उत्पादन बढ़ा है। पिछले साल के कुछ सूखे की वजह से इस साल की फसल पर थोड़ा असर जरूर पड़ा है फिर भी वो, मांग से काफी ज्यादा है।


2007-08 में भारत का गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 7 करोड़ 80 लाख टन हुआ था। जबकि, उम्मीद 7 करोड़ 68 लाख टन की ही थी।


2009-10 में सिर्फ गेहूं ही नहीं सभी अनाजों की बात करें यानी गेहूं और दालों की तो, अनाज का कुल उत्पादन 21 करोड़ 80 लाख टन तक होने की उम्मीद है। ये पिछले साल से करीब 1 करोड़ 60 लाख टन कम है लेकिन, फिर भी कुल पैदावार इतनी ज्यादा है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में लाखों टन गेहूं सड़ चुका है।


2009-10 में गेहूं का उत्पादन पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 8 करोड़ 7 लाख टन होने की उम्मीद है। जबकि, दालों का उत्पादन भी रिकॉर्ड 1 करोड़ 46 लाख टन।

चावल भी इस साल करीब 9 करोड़ टन हुआ। और तिलहन उत्पादन करीब ढाई करोड़ टन का है। गन्ना 27 करोड़ 78 लाख टन का सरकारी अनुमान है।

महंगाई में अब बचती है सब्जी तो, उसका कोई ऐसा बुआई चक्र नहीं होता कि जुलाई-अगस्त की बारिश से सब सुधर जाएगा या सब बिगड़ जाएगा। फिर इस बारिश के भरोसे अपने प्रधानमंत्री जी से लेकर उनके आर्थिक सलाहकार सी रंगराजन, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और सारी सरकार को भुलावा क्यों है कि दिसंबर तक सब ठीक हो जाएगा। वैसे ऐसे ही भुलावे में रखकर पिछले 5 साल और नई यूपीए के साल भर से ज्यादा हो गए हैं। जय हो ...

3 comments:

  1. 2007-08 में भारत का गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 7 करोड़ 80 लाख टन हुआ था। जबकि, उम्मीद 7 करोड़ 68 लाख टन की ही थी।


    2009-10 में सिर्फ गेहूं ही नहीं सभी अनाजों की बात करें यानी गेहूं और दालों की तो, अनाज का कुल उत्पादन 21 करोड़ 80 लाख टन तक होने की उम्मीद है। ये पिछले साल से करीब 1 करोड़ 60 लाख टन कम है लेकिन, फिर भी कुल पैदावार इतनी ज्यादा है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में लाखों टन गेहूं सड़ चुका है।

    सवाल भी आपने किया और जवाब भी दे दिया । इतना अनाज सडेगा तो महंगा तो होगा ही ।

    ReplyDelete
  2. हर्ष जी सबसे पहले तो मैं अपनी खुशी का इजहार कर दूं। खुशी इस बात की कि जुलाई का माह खाली जा रहा था आपने कुछ लिखकर इस सूखे का पूरा कर दिया है।
    दूसरी बात यह कि जो आंकड़े आपने दिए हैं वह स्पष्ट हैं, इसमें दिक्कत की कोई बात नहीं। आप आंकड़ों की बात कर रहे हैं, जो आम आदमी अर्थव्यवस्था के विषय में कुछ नहीं जानता वह यह जरूर जानता है कि प्रधानमंत्री जी केवल लॉलीपॉप दे रहे हैं और कुछ नहीं। प्रधानमंत्री जो को भी मालूम है धीरे धीरे समय कटने को और क्या करना है।
    वैसे बहुत अच्छी पोस्ट है। धन्यवाद।

    ReplyDelete
  3. हर्ष जी .... आम जनता कितना भी सटीक और स्पस्ट आंकडा प्रस्तुत करे हमारे मनमोहन जी को कोई फर्क नहीं पड़ता "भैंस के आगे बिन बजाये और ....." . सोनिया मैडम जी या राहुल बाबा जो कुछ भी कहें मनमोहन जी तुरंत आत्म-सात कर लेते हैं भला कुर्सी छीन जाने का दर जो ठहरा. आम जनता ने थोड़े ही इन्हें प्रधानमन्त्री बनाया है.... और आम जनता क्या बिगाड़ लेगी मनमोहन जी का ? इतने चुनाव तो हुए .. गला घोंटती महंगाई के बावजूद ... इनका विजय अभियान जारी है ...

    ReplyDelete

एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...