Wednesday, February 15, 2023

मोदी किसे फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, उद्योगपति को या देश को ?

 हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi



एक समय अडानी भी एयर इंडिया खरीदने के इच्छुक हो गए थे। अडानी के अलावा सबसे आगे दौड़ में टाटा समूह के अलावा हिंदुजा समूह, इंडिगो, एक अमेरिकी कंपनी भी शामिल थी। उस समय अडानी को लेकर किसी तरह का हंगामा नहीं मचा था। हंगामा मचा था, टाटा समूह को एयर इंडिया को देने पर। हंगामे की शुरुआत की थी, सुब्रमण्यम स्वामी ने। खैर, मोदी सरकार उद्योगपतियों के साथ खड़े होने के आरोप पर पीछे नहीं हटती और, इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि, पर्दे के पीछे से सौदेबाजी करना हो तो, सामने के आरोपों पर पीछे हटें।
अब जब राहुल गांधी ने कई वर्ष पुरानी मोदी-अडानी की तस्वीर संसद में दिखाकर सूट-बूट की सरकार साबित करने की कोशिश की हो। जब देश में एक माहौल बना हो कि, अडानी को मोदी को फायदा पहुंचाया क्या। ऐसे में भी एयरबस और बोइंग के साथ एयर इंडिया के सौदे के समय उद्यमियों, एयरबस कंपनी के अधिकारी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रॉन के साथ नरेंद्र मोदी का शामिल होना बहुत बड़ी बात है। साफ है कि, नरेंद्र मोदी देश के उद्यमियों के साथ खुलकर खड़े होने में हिचकते नहीं है। दरअसल, किसी भी नेता को अपने देश के या दूसरे देश से निवेश करने के इच्छुक उद्योगपतियों के साथ खड़े होने में कोई झिझक नहीं होना चाहिए, लेकिन मुश्किल यही है कि, भारत में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय से ही ऐसा माहौल बना दिया गया कि, उद्योगों के हित में कुछ करती सरकार न दिखे। यह अलग बात है कि, हर दौर में नेताओं पर उद्योगपतियों के साथ मिलकर गलत काम करने के गंभीर से गंभीर आरोप लगे।
रक्षा सौदे में तो तय माना जाता था कि, बिना अच्छी खासी दलाली के सरकार कोई सौदा करती ही नहीं। नेताओं से लेकर सेना के बड़े अधिकारियों तक की मिलीभगत के आरोप लगातार लगते रहे। अब ऐसा नहीं हो रहा है। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले ही कई बार यह बात दोहराई कि, सरकार का काम कारोबार करना नहीं है। सरकार का काम नीतियां बनाना है। नरेंद्र मोदी की सरकार से पहले भी सरकारें विनिवेश का लक्ष्य तय करतीं रहीं, लेकिन किसी सरकार पर विपक्ष ने देश को बेच देने का आरोप नहीं लगाया। यह आरोप विपक्ष ने पहली बार लगाया है और, इससे विपक्ष कितना असहाय हो गया है, यह स्पष्ट समझ आता है। विपक्ष लाख कोशिशों, झूठे माहौल बनाने के बावजूद नरेंद्र मोदी पर जनता का भरोसा इसीलिए कम नहीं कर पा रहा कि, जनता देख रही है कि, नरेंद्र मोदी ने जो कहा, वही किया। अडानी के बहाने जिस तरह से नरेंद्र मोदी पर हमला किया गया, कोई और नेता होता तो टाटा की एयरबस, बोइंग से हो रही सौदेबाजी के सार्वजनिक कार्यक्रम से मीलों दूरी बनाकर रखता, लेकिन नरेंद्र मोदी तो नरेंद्र मोदी है। और, यहां यह भी बताना आवश्यक है कि, इस सौदे को अपने-अपने देशों के लिए महान बताने में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रॉन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक में होड़ लगी हुई है। अब आप तय कीजिए कि, मोदी किसे फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, उद्योगपति को या देश को।

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