Saturday, February 05, 2022

रिपोर्ट कार्ड से मथुरा-वृंदावन जीतेंगे ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा

हर्ष वर्धन त्रिपाठी



उत्तर प्रदेश में पहले चरण में जिन सीटों पर सबकी नज़र है, उनमें सबसे प्रमुख सीट के तौर पर मथुरा-वृंदावन को देखा जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्रीकांत शर्मा 2017 के विधानसभा चुनाव में यहाँ से रिकॉर्ड मतों से जीते विधानसभा पहुँचे थे और फिर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री बनाए गए थे। श्रीकांत शर्मा को दिल्ली का वरदहस्त प्राप्त था और प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के तौर पर भी उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। ऊर्जा मंत्री के तौर पर प्रदेश में बिजली की आपूर्ति व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन की चर्चा हर कोई करता है। हालाँकि, राज्य में बिजली महँगी होने की बात भी की जाती है, जिसका जवाब ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा यह देते हैं कि पिछली सरकार ने महँगी दरों पर ऊर्जा के अनुबंध किए थे, इसके बावजूद हम जनता को पूरी बिजली, कम क़ीमतों पर देने में सफल रहे हैं। प्रदेश में बिजली आपूर्ति की बेहतरी भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ा चुनावी मुद्दा भी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि, पिछली बार रिकॉर्ड मतों से जीतने वाले ऊर्जा मंत्री की विधानसभा में इस बार क्या माहौल है। इसे समझने के लिए मथुरा-वृंदावन में दो दिन मैंने बिताया। 

मथुरा जाने पर वृंदावन में बाँके बिहारी जी का दर्शन करना हर हिन्दू के लिए अनिवार्य शर्त जैसा होता है। हमारे लिए भी बाँके बिहारी जी का दर्शन आवश्यक था। मूल बाँके बिहारी जी का दर्शन था, लेकिन लगे हाथ मथुरा-वृंदावन की चुनावी हलचल भी समझने की कोशिश करना था। अगर आप चश्मा लगाकर वृंदावन में बाँके बिहारी जी का दर्शन करने जाते हैं तो मंदिर के लिए गलियों में घुसते कोई कोई आपको अवश्य टोंकेगा कि, चश्मा उतारकर जेब में रख लीजिए, वरना बंदर लेकर भाग जाएगा। मुझे भी हमेशा की तरह इस बार भी बाँके बिहारी जी के मंदिर की गलियों में घुसते ही यह सलाह मिल ही गई। मैंने चश्मा निकालकर अपनी जेब में डाल लिया। मंदिर की गलियाँ कुछ वर्ष पहले से अधिक चौड़ी लगीं। ज़्यादा स्थान दिख रहा था। साफ़-सफाई की व्यवस्था भी पहले से बहुत बेहतर लग रही थी। दर्शन के बाद बाँके बिहारी मंदिर के सेवादार घनश्याम गोस्वामी ने बताया कि, मथुरा-वृंदावन की गलियाों में झूलते बिजली के तार अब लगभग ग़ायब हो गए हैं और इसकी वजह से बंदरों को तारों के ज़रिये गलियों में बैठने का स्थान कम हो गया और अब बंदर भी इसीलिए कम दिखते हैं। तब मुझे ध्यान में आया कि, चश्मा तो जेब में रख लिया था, लेकिन पूरे रास्ते में बंदर ना के बराबर दिखे। ऊर्जा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में बिजली के तारों के भूमिगत होने से यह बड़ा बदलाव हुआ है, जिस पर मेरा ध्यान मंदिर के सेवादार के बताने पर गया, लेकिन घनश्याम गोस्वामी की बातों में योगी-मोदी का प्रभाव अधिक दिख रहा था। उन्होंने बताया कि, काम तो मथुरा-वृंदावन में खूब हुआ है। मंत्री जी ने काम भी खूब कराया,  मथुरा-वृंदावन की मुख्य सड़कें पहले से ज़्यादा चौड़ी और कम अतिक्रमण की हुई हैं। बाँके बिहारी जी की गलियों में चमकते टाइल्स और व्यवस्थित दुकानें मंदिर के सेवादार की बात को प्रमाणित करती हैं, लेकिन मंत्री जी के व्यवहार को लेकर थोड़ी नाराज़गी भी मथुरा-वृंदावन के लोगों में देखने को मिलीं। हालांकि, मंत्री जी द्वारा किया गया काम और मोदी-योगी के राज में मथुरा भी अयोध्या, काशी जैसा बनने की उम्मीद से थोड़ी बहुत नाराजगी गायब हो जाती है। 

स्थानीय स्तर पर लोगों की नाराज़गी के बारे में मैंने पूछा कि, मथुरा-वृंदावन के लोग कह रहे हैं कि, हमें विधायक चाहिए, मंत्री जी बड़े नेता हैं। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने मेरो ब्रज नाम की एक बुकलेट दिखाई और कहाकि, यह मेरा रिपोर्ट कार्ड है। आज तक किसी ने जनता के सामने अपने कामों का रिपोर्ट कार्ड नहीं पेश किया है। मेरा ब्रज रिपोर्ट कार्ड में यमुना की शुद्धि से लेकर मथुरा-वृंदावन के सौंदर्यीकरण-विकास के ढेरों काम लिखे हुए थे। श्रीकांत शर्मा ने कहाकि, हर शनिवार-रविवार पूरे पाँच वर्ष मैं अपने विधानसभा क्षेत्र में ही रहा। बाँके बिहार मंदिर के सेवादार घनश्याम गोस्वामी की बातों से बुकलेट में बताए काम मेल खा रहे थे। मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्रों में जब हमने लोगों से बात की तो हर किसी ने कहाकि, काम तो हुआ है। व्यवहार को लेकर विरोधाभासी बातें भी सुनने को मिलीं, लेकिन हर कोई एक बात ज़रूर कह रहा था कि, मोदी-योगी के राज में मथुरा-वृंदावन में बहुत कुछ हुआ है और बहुत कुछ होने की उम्मीद है। पुलिस-प्रशासन के व्यवहार से बहुत से लोग दुखी दिखे। 2017 में पहली बार चुनाव लड़े भाजपा प्रत्याशी श्रीकांत शर्मा को 1,43,361 मत मिले थे और कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रदीप माथुर को सिर्फ़ 42,200 मत ही मिल सके थे। ब्राह्मण बहुल विधानसभा में इस बार श्रीकांत शर्मा जीत का अंतर बरकरार रख पाएँगे क्या, इसका उत्तर मुझे मथुरा के बालाजीपुरम में मिले नौजवान जाट सुरेश चौधरी ने दिया। सुरेश चौधरी ने कहाकि, श्रीकांत शर्मा के लिए बसपा प्रत्याशी एसके शर्मा लाभकारी हो गए हैं क्योंकि, अभी तक उनसे नाराज कुछ ब्राह्मण मतदाता प्रदीप माथुर को मत देता दिख रहा था। अब एस के शर्मा का विकल्प होने से मंत्री से नाराज लोग एस के शर्मा की तरफ जा सकते हैं। बहुतायत ब्राह्मण मतदाता भाजपा प्रत्याशी के ही साथ खड़ा दिख रहा है। सुरेश चौधरी ने कहाकि, बालाजीपुरम में पूर्व सैनिक जाट मतदाता सबसे अधिक हैं और मैंने जब घरों में लोगों से पूछा तो अधिकतर का यही कहना था कि, मोदी ने सैनिकों के लिए जो किया, पहले नहीं हुआ। जाट बहुल कॉलोनी में भाजपा प्रत्याशी के लिए ऐसा समर्थन मेरे लिए चौंकाने वाला था। एक पूर्व सैनिक भगवान सिंह जाट ने कहाकि, हम लोग चौधरी चरण सिंह को पूजने वाले लोग हैं, लेकिन अभी हमारे नेता नरेंद्र मोदी ही हैं। किसान और जवान के लिए मोदी सरकार ने बहुत किया है और योगी आदित्यनाथ ने गुंडागर्दी ख़त्म कर दी। बालाजीपुरम कॉलोनी की एक जाट लड़की ने कहाकि, सरकार ने गुंडागर्दी ख़त्म कर दी। गवर्नमेंट हमारे साथ है। मुथरा-वृंदावन की चुनावी नतीजा क्या होने वाला है, इस प्रश्न का उत्तर मुझे मिल चुका था। संभवत: आपको भी मिल चुका होगा। 

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