सबकुछ ठीक रहा तो झारखंड, जम्मू कश्मीर चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल दोनों ही 2-3 रुपये लीटर सस्ता हो सकता है। वजह अंतर्राष्ट्रीय है। कच्चा तेल $85.14/बैरल हो गया है। रुपया भी डॉलर के मुकाबले लगभग स्थिर है। इससे मोदी सरकार के अच्छे दिन आ गए हैं। लेकिन, सच्चाई यही है कि इस समय कोई भी सरकार होती तो ये अच्छे दिन आते ही आते। तेल उत्पादन करने वाले देशों के संगठन को गिरते कच्चे तेल के भाव से चिंता हो रही है। हो सकता है कि कीमतों को गिरने से रोकने के लिए वो कुछ उत्पादन घटाने जैसा कदम उठाएं। 27 नवंबर को OPEC देशों की होने वाली बैठक में इस पर फैसला लिया जा सकता है। साथ ही सर्दियां शुरू हो रही हैं। अमेरिका और दूसरे विकसित देशों में गैसोलीन की मांग तेजी से बढ़ेगी। हर तरह का कच्चा तेल महंगा हो सकता है। तब इस सरकार की असली परीक्षा होगी। तभी समझ में आएगा कि तेल नीति (मोटा-मोटा पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस जैसी कीमतें) के मामले में मोदी सरकार कितनी मजबूत है। और तभी ये भी तय होगा कि अच्छे दिन रह-रहकर आएंगे-जाएंगे या सचमुच आएंगे। खैर, सर्दियां बढ़ने तक सस्ते पेट्रोल-डीजल का मजा लीजिए।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
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