बच्चे मन के सच्चे होते हैं। ये बात हर कोई कहता रहता है। लेकिन, उसका अनुभव कभी-कभी गजब तरीके से होता है। अभी एक दिन खेल खेल में मुझे भी ये अनुभव हुआ। रविवार के दिन दोनों बेटियों को लेकर अपार्टमेंट के प्ले एरिया में था। झूला झूलते-झूलते बड़ी बेटी अमोलो ने पूछा। पापा ये मिट्टी क्यों दबा दी है। दरअसल हमारे अपार्टमेंट के प्ले एरिया में पता नहीं किस सोच से मिट्टी के ऊपर पूरी तरह से कंक्रीट डालकर पक्का कर दिया गया है। एक वजह हो सकती है कि झूलों और दूसरे खेलने वाले उपकरण मजबूती से जमे रहें। लेकिन, इससे हर समय ये खतरा बना रहता है कि बच्चे गिरे तो उनको चोट लग सकती है। अमोलो ने कहा- पापा मिट्टी रो रही होगी। क्यों मिट्टी को दबा दिया है। मैं जवाब नहीं दे सका। लेकिन, सच है कि हमारे अपने कर्मों से मिट्टी तो रो ही रही है। हमें विकास चाहिए। लेकिन, जाने-अनजाने सच्चे मन से अमोलो ने वो कह दिया जिसका जवाब खोजना असंभव है।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...
-
आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
-
हमारे यहां बेटी-दामाद का पैर छुआ जाता है। और, उसके मुझे दुष्परिणाम ज्यादा दिख रहे थे। मुझे लगा था कि मैं बेहद परंपरागत ब्राह्मण परिवार से ह...
-
पुरानी कहावतें यूं ही नहीं बनी होतीं। और, समय-समय पर इन कहावतों-मिथकों की प्रासंगिकता गजब साबित होती रहती है। कांग्रेस-यूपीए ने सबको साफ कर ...
No comments:
Post a Comment