Tuesday, November 27, 2012

पैसा देकर वोट जुटाने का जुगाड़

यही आधार कार्ड बनेगा सरकारी रकम पाने का आधार
भारत में आम जनता गजब बेवकूफ बनती है। पहले से कम पैसा, कम लोगों को पैसा लेकिन, सीधे खाते में #directcashsubsidy से जानकार उम्मीद जताने लगे हैं कि MNREGA (मनरेगा)की तरह #directcashsubsidy से यूपीए 3 हो सकती है।

माना जा रहा है कि करीब 10 करोड़ गरीब परिवारों को ये सब्सिडी सीधे खाते में मिलेगी। आगे इसमें सब्सिडी के साथ वजीफा, पेंशन या फिर दूसरी सरकारी योजनाओं का फायदा भी जोड़ दिया जाएगा। 10 करोड़ परिवार मतलब 40 करोड़ लोगों को सीधे खाते में रकम आने का भ्रम। और, भारतीय लोकतंत्र में जिस तरह मतदान होता है। उसमें 10-12 करोड़ वोट अगर मिले तो, पार्टी सत्ता में। बस यही फॉर्मूला है यूपीए 2 का यूपीए 3 बनाने के लिए। इसीलिए वित्त मंत्री पी चिदंबरम इस योजना  का एलान करते हुए इसे खुलेआम गेम चेंजर कह रहे हैं। अब वोट के लिए नोट देने के लिए ये चुनाव आयोग के कानूनी दायरे में भी नहीं आएगा। और, सब्सिडी घटाने पर रोज सवाल करने वाली जनता भी शांत रहेगी।

महंगाई, भ्रष्टाचार यूपीए 2 के लिए मुसीबत बन रहे हैं। उसका जवाब ये #directcashsubsidy है। सरकार कह रही है ये अलादीन का चिराग है। इससे सारे रोग दूर हो जाएंगे। देश के भी, सरकार के भी, लोगों के भी। बिचौलिए खत्म हो जाएंगे। सिस्टम की लीकेज खत्म हो जाएगा। फिर जाहिर है भ्रष्टाचार भी नहीं होगा। और, इसी अलादीन के चिराग से फिर ये यूपीए 2 की सरकार एक और इच्छा जाहिर कर देगी कि यूपीए 3 बना दो। और, चिराग का जिन्न ये मांग भला क्यों नहीं मानेगा।

सवाल यही है कि क्या सरकार फिर जनता को बेवकूफ बना सकेगी? पैसा बांटू राजनीति भारत में कब तक वोट बटोरने में मददगार होगी। ये तो अभी तक का अनुभव रहा है कि ये राजनीति वोट बटोरकर सरकार बनाने में भले मददगार हो। चलाने में तो बिल्कुल नहीं होती है। वरना हर क्षण देश, देश के लोगों की रेटिंग गिरने का खतरा बना ही रहता है। #directcashsubsidy

3 comments:

  1. जब तक जनता टी.वी., साड़ी के नाम पर वोट देती रहेगी, यही होगा

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  2. स्वतंत्रता के कितने ही वर्षों में, प्राकृतिक संसाधनों के द्रुत गति से दोहन के पश्चात भी यदि
    देश की पांच करोड़ से भी अधिक जनता मिट्टी डोह रही है तो यह गर्व का नहीं अपितु
    लज्जा का विषय है, इसे छातीं तान कर नहीं बल्की आँख झुका कर कहना चाहिए.....

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  3. "देहली दे भेली न दे"

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