ये दूसरी खबरों जैसी सिर्फ एक खबर ही थी। 4 अप्रैल को टाइम्स ऑफ इंडिया की इस बॉटम स्टोरी की असलियत क्या है और पता नहीं कभी वो सामने आ भी पाएगी या नहीं। लेकिन, मुझे लगा कि इस खबर को जितने लोगों को हो सके जानना जरूर चाहिए। क्योंकि, असलियत तो इसलिए भी दफन हो जाएगी कि तहकीकात तो इस मामले में होने से रही।
सफेद कपड़ों में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ काले सूट में सोनिया गांधी- शोक संतप्त गांधी परिवार की फोटो के साथ हेडलाइन थी- priyanka’s dad in law found dead. सामान्य सी ही खबर थी इतनी कि जब हमारे न्यूजरूम में फ्लैश आया तो, मुझे लगा कि ये कौन सी बात हुई। प्रियंका के ससुर का मरना खबर कैसे हो सकती है। लेकिन, जब दूसरे दिन टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में थोड़े तफसील के साथ खबर दिखी तो, लगा कि ये तो बड़ी खबर थी, अच्छे से टीवी चैनलों पर चली क्यों नहीं।
प्रियंका के ससुर राजेंद्र वाड्रा का निधन हुआ। लेकिन, अखबार में लिखा ये लाइन चौंकाने वाली बात है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राजेंद्र वाड्रा के गले के पास जख्मों के निशान कुछ इस तरह के हैं जैसे किसी के आत्महत्या करने पर होते हैं। वैसे, इतना हाई प्रोफाइल मामला होने की वजह से न तो पुलिस इस मामले में जांच कर रही है और न ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट की पूरी असलियत लोगों के सामने आ पाएगी।
मामला इसलिए और भी शक पैदा करता है कि राजेंद्र वाड्रा के पास फ्रेंड्स कॉलोनी में घर है लेकिन, वो यूसुफ सराय एरिया के एक गेस्ट हाउस city inn में पिछले 15 दिनों से रह रहे थे और उसी गेस्ट हाउस के कमरे में मरे पाए गए। राजेंद्र वाड्रा की अपने बेटे से बिल्कुल नहीं बनती थी ये पहले ही सुर्खियों में आ गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया में अंदर के पेज पर छपी खबर में लिखा है कि राजेंद्र वाड्रा बेटे रॉबर्ट की प्रियंका गांधी के साथ शादी से खुश नहीं थे। और, करीब आठ साल पहले रॉबर्ट वाड्रा ने अपने पिता राजेंद्र वाड्रा और भाई रिचर्ड वाड्रा के खिलाफ ये पब्लिक नोटिस जारी किया था कि जिसमें कहा गया था कि वो दोनों उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पद दिलाने और दूसरे कामों में गांधी परिवार के नाम का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इस पर राजेंद्र वाड्रा ने मानहानि का मुकदमा करने की धमकी भी दी थी।
रॉबर्ट वाड्रा का भाई रिचर्ड संदेहास्पद परिस्थितियों में सितंबर 2003 में अपने वसंत विहार के घर में मरा पाया गया था। और, रॉबर्ट की बहन मिशेल की मृत्यु 2001 में एक कार दुर्घटना में हो गई थी। मुरादाबाद के वाड्रा परिवार का पीतल और हैंडीक्राफ्ट का कारोबार है। और, राजेंद्र वाड्रा को कांग्रेसी बताया जाता है। लेकिन, राजेंद्र के बड़े भाई ओमप्रकाश वाड्रा संघ के नजदीकी रहे। उन्होंने अपनी संपत्ति मुरादाबाद में एक ट्रस्ट को दान कर दी जिसे संघ से जुड़े लोग चला रहे हैं। इसी जमीन पर आज भी शिशु मंदिर चल रहा है।
गांधी परिवार से जुड़ी इस खबर और अफवाह में कितनी सच्चाई है, बिना तहकीकात के इसका अंदाजा लगाना तो असंभव है। और, मुझे नहीं लगता कि इसकी तहकीकात कभी होगी भी। इसीलिए मैंने इतने दिनों बाद ये खबर सिर्फ इसलिए अपने ब्लॉग पर डाली है ताकि, सनद रहे ...
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पेज थ्री के लोगों की बात ही निराली है
ReplyDelete( वो छिंकते भी हैं तो खबर बन जाती है, हम हर रोज मरते हैं पर यह खबर भी नहीं लगती:)
खबर तो पढ ली, पर सवाल है कि अब क्या करें।
ReplyDelete-----------
तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
आपने यहाँ नहीं दिया होता तो हमें तो पता नहीं ही चला होता. जो भी हो खबर तो पता चली.
ReplyDeleteखबर तो संज्ञान में थी। पर इसके कोई निहितर्थ हैं - यह नहीं मालुम था।
ReplyDeleteआलोक तोमर ने काफी खुले तरीके से यह खबर छापी थी।
ReplyDeleteमेरा मानना है कि राजेन्द्र वाड़्रा ने भी बहुत से समझौते किये थे। विदेशी महिला को जीवनसाथी बनाने से लेकर धर्मपरिवर्तन और उन्ही की जीवनशैली अपनाने के समझौते नितांत भारतीय माहौल में रहे व्यक्ति के लिए आसान नहीं होते।
अपने बच्चों को उन्होंने क्या संस्कार दिए पता नहीं, पर जैसे भी दिए हों, उसका परिणाम उन्हें ही भुगतना था।
संयोग या दुर्योग, एक अनाम परिवार चर्चा में आ जाता है। हमें क्या ?
पत्रकार बिरादरी क्यों चुप है ?ओर चैनल वाले ?ये समझ नहीं आया ?मामला संदेह्स्पस्द तो है .
ReplyDelete"…वैसे, इतना हाई प्रोफाइल मामला होने की वजह से न तो पुलिस इस मामले में जांच कर रही है और न ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट की पूरी असलियत लोगों के सामने आ पाएगी…"…। बाकी की बातें और सारा गाँधी परिवार चाहे भाड़ में जायें, लेकिन यह बात गम्भीर है…। पैसे और रसूख वाले लोग "व्यवस्था" को कैसे लात मारते हैं यह उसका एक उदाहरण भर है…
ReplyDelete"गांधी परिवार से जुड़ी इस खबर और अफवाह में कितनी सच्चाई है, बिना तहकीकात के इसका अंदाजा लगाना तो असंभव है"
ReplyDeleteकौन करेगा तहकीकात और कौन उठाएगा इस घटना को , हो सकता है भविष्य में कुछ हो और सच्चाई का पता चले
खबर तो उसी दिन पढ़ ली थी...ज्यादा गौर नहीं किया!
ReplyDeleteसोनिया गांधी के रिश्तेदार और प्रतियोगियों की अकाल मृत्यु क्यों होती रहती है?
ReplyDeleteपता नहीं क्यों इस घटना से पंचतंत्र की एक कथा याद आ रही है वह कथा कुछ ऐसा कहती है कि कभी किसी बहुत बड़े के अंदर नहीं घुसना चाहिए। रही बात मामले के तह तक जाने की तो किसे पड़ी है और फायदा क्या है जैसे सवाल तो हैं हीं।
ReplyDeleteएक ही परिवार के लोग आत्महत्या, हत्या या दुर्घटना में मर जाते हैं... एक अच्छी फिल्मी पटकथा बन सकती है....पर इस हकीकत की तह तक कौन जाएगा???
ReplyDeleteगरीब के घर का मामला होता तो उसके परिवार की इज़्ज़त तार-तार कर देते खोजी पत्रकार लोग्।भारत मे तो अब लगता है बस एक ही मूल-मंत्र है समरथ को नही दोष गुसाई॥
ReplyDeleteकोई तो बात ऐसी है जो सबकी जबानें एक साथ बन्द हैं। वोट हथियाने के इस दौर में वे भी चुप हैं जो मालामाल हो सकते हैं।
ReplyDeleteकोई तो बात है।
इसे वाकई खबर कहतें हैं बाकी जो अखबार में था वह तो विज्ञापन हुआ .
ReplyDeleteसोनिया गांधी के रिश्तेदार और प्रतियोगियों की अकाल मृत्यु क्यों होती रहती है?
ReplyDeleteYe Wakai ek shacchai hai, ki kahin kuch badi Bhari gadbad hai.