tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post409149103674253560..comments2024-03-11T14:40:54.290+05:30Comments on बतंगड़ BATANGAD: किधर ले जाएगा ये ‘मेट्रो’ का रास्ताBatangadhttp://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-7497919158785816582007-05-18T23:04:00.000+05:302007-05-18T23:04:00.000+05:30आपका लिखा पसंद तो आता ही था, आपने किसी फिल्म पे लि...आपका लिखा पसंद तो आता ही था, आपने किसी फिल्म पे लिखा, ये बात भी पसंद आई। फिल्म मुझे भी काफी अच्छी लगी, और इसके किरदार भी आसपास मंडराते नजर आए। मेट्रो काफी हद तक नैतिकता के बदलते पैमाने का आइना जैसी लगती है, लेकिन हमारे जमाने की असलियत दिखाने की बजाय अनुराग बासु भीड़ को नाराज नहीं करने के इरादे से शिखा को वापस उसके पति तक भेज देते हैं। शायद ये भी बड़ी सच्चाई है, रिश्तों की घुटन से कसमसाते लोग भी अक्सर बाहर निकलने की बजाय वहीं दम तोड़ना ज्यादा पसंद करते हैं। <BR/>आपकी अगली फिल्म समीझा की प्रतीक्षा होगी।Bikas Mishrahttps://www.blogger.com/profile/09081969124434919196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-67080363954181765602007-05-14T23:05:00.000+05:302007-05-14T23:05:00.000+05:30metro mei kya sachmuch logon ko apne kaam ke alawe...metro mei kya sachmuch logon ko apne kaam ke alawe sachmuch ye sab karne ka samay mil jata hai? aur khakar wo log jo ki bahar se metro mei aate hain..aur unhen chulha jalane aur room rent ki chinta hoti hai..han main manta hun yahan awsaron ki kami nahi hai...khair pahle main film dekh leta hun.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/05620170507957195884noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-9727000251130796762007-05-14T22:16:00.000+05:302007-05-14T22:16:00.000+05:30ये समीक्षा नहीं तो क्या है पंडीजी!एक्टिंग कैसी है,...ये समीक्षा नहीं तो क्या है पंडीजी!<BR/>एक्टिंग कैसी है, कैमरा-वर्क कैसा है, डायरेक्शन कैसा है- ये सब बतानेवाली समीक्षा पुरानी हो गई। असली समीक्षा तो वही है जहां हम फिल्म से अपने लिए take-away की बात करें। और इस फिल्म के लिए तो ये बात इसलिए भी सही है क्योंकि ये मेट्रो में लाइफ की बात करती है। <BR/>आपका ये खर्रा आम दर्शक के लिए ज्यादा दिलचस्प है क्योंकि इसमें नज़रिया एक आम दर्शक का ही है, किसी तथाकथित फिल्मी विशेषज्ञ का नहीं।<BR/>अनुराग बासु को आपका धन्यवादग्रस्त होना चाहिए क्योंकि ये सब पढ़ने के बाद कई मित्रों की तरह मैने भी ये फिल्म देखने का मन बना लिया है।<BR/>अंत में- मैं बड़ा होकर आप जैसा समीक्षक बनना चाहता हूं:)गिरिजेश..https://www.blogger.com/profile/08276657128565435903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-48629341005681690712007-05-14T15:12:00.000+05:302007-05-14T15:12:00.000+05:30शानदार समीक्षा, पता नहीं था कि बिजनैस जैसे रसविहिन...शानदार समीक्षा, पता नहीं था कि बिजनैस जैसे रसविहिन विषय में डुबे रहने के बाद फिल्म पर इतना बढि़या लिखेंगे। लिखते रहिए.... मजा आया।चलते चलतेhttps://www.blogger.com/profile/00891524525052861677noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-51469818986803918942007-05-14T13:04:00.000+05:302007-05-14T13:04:00.000+05:30हमे भी फिल्म देखनी पड़गी।बढ़िया समीक्षा की है ।हमे भी फिल्म देखनी पड़गी।बढ़िया समीक्षा की है ।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-39166325893342877062007-05-14T12:23:00.000+05:302007-05-14T12:23:00.000+05:30अब फिल्म देखनी पड़ेगी.अब फिल्म देखनी पड़ेगी.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-66435445618576085932007-05-14T09:50:00.000+05:302007-05-14T09:50:00.000+05:30बढ़िया समीक्षा की है आपने भाई !बढ़िया समीक्षा की है आपने भाई !Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.com