tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post3216511955015177410..comments2024-03-11T14:40:54.290+05:30Comments on बतंगड़ BATANGAD: इलाहाबाद का रिक्शा बैंकBatangadhttp://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-26065654937778984102009-11-14T18:14:12.118+05:302009-11-14T18:14:12.118+05:30यह एक अच्छी पहल है
ऑकुट पर पता चला कि आपके यहाँ ...यह एक अच्छी पहल है<br /><br />ऑकुट पर पता चला कि आपके यहाँ लक्ष्मी जी का आगमन हुआ है, और सिद्धार्थ भाई से पता चला कि आप इलाहाबाद में है किन्तु गृह निर्माण में व्यस्तता की मजबूरी के कारण घर से निकलना नही हो पा रहा है। <br /><br />आपको बहुत बहुत बधाईPramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-68172590365480568332009-11-14T16:18:47.530+05:302009-11-14T16:18:47.530+05:30इस चमत्कारी योजना के बारे में ज्ञान जी ने पहले बता...इस चमत्कारी योजना के बारे में ज्ञान जी ने पहले बताया था। इस प्रकार की विकासशील सोच ही समाज में शान्तिपूर्ण तरीके से क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने में सक्षम हो पाती है। <br /><br />इस योजना की परिकल्पना जिसने तैयार की हो उसे सलाम। बैंकों ने पहले भी सूदखोरों पर लगाम लगायी है, अब मुनाफाखोरों को भी चेतना होगा।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-50495991882677690672009-11-14T14:53:00.291+05:302009-11-14T14:53:00.291+05:30आज देश को ऐसे ही विकासोन्मुखी वास्तविक प्रयासों की...आज देश को ऐसे ही विकासोन्मुखी वास्तविक प्रयासों की जरूरत है. साथ ही यह ख़याल भी रखना होगा कि इसमें भ्रष्टाचार का दीमक न लगने पाए.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-78494283566569326152009-11-14T12:50:58.741+05:302009-11-14T12:50:58.741+05:30दिल्ली में ऐसे रिक्शे काफी समय से चल रहे हैं बल्कि...दिल्ली में ऐसे रिक्शे काफी समय से चल रहे हैं बल्कि सच्चाई तो ये है पुरानी तरह के रिक्शे तो अब दिखाई ही नहीं देते...रिक्शेवाले इन्हें मज़ाक से CNG रिक्शा कहते हैं. <br /><br />1984 में, इस तरह की रिक्शा-फाइनेंस स्कीम की एक कमी यह थी कि इसमें सरकार 33% सब्सिडी देती थी जिसके चलते लोग 1000 रूपये के रिक्शे को 900 रूपये में बेच अगले ही दिन बैंक में 666 रूपये जमा कराने चले आते थे. जिससे रिक्शाचालक को बैठे-बिठाए ही 234 मिल जाते थे व रिक्शामाफिया को हर नए रिक्शे पर 100 रूपये का मुनाफ़ा होता था. बैंक बाले के टारगेट पूरे हो जाते थे. लेकिन करदाता मूर्खों की तरह बगलें झांका करता था...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-26767999505989658072009-11-14T10:20:09.846+05:302009-11-14T10:20:09.846+05:30is achhi khabar ke liye dhanyavaad. isne mujhe yaa...is achhi khabar ke liye dhanyavaad. isne mujhe yaad dila di edinburgh,UK aur franfurt germany me dekhe padal rickshaw ki. mere paas uski tasweer bhi hai, aur kabhi post karoonga<br />dhanyawaad<br />rakesh raviRaravihttps://www.blogger.com/profile/06067833078018520969noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-15476597565094669372009-11-14T07:31:26.417+05:302009-11-14T07:31:26.417+05:30बड़ा सार्थक प्रयास है....अच्छा लगा जानकर!! आभार आपक...बड़ा सार्थक प्रयास है....अच्छा लगा जानकर!! आभार आपका इस समाचार को हम तक पहुँचाने का.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-71915462298966467372009-11-13T23:31:48.611+05:302009-11-13T23:31:48.611+05:30बहुत अच्छा लगा, जानकर, पढ़कर।बहुत अच्छा लगा, जानकर, पढ़कर।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-38199631272959760082009-11-13T23:19:46.834+05:302009-11-13T23:19:46.834+05:30ये हुई पत्रकारिता सटीक..ये हुई पत्रकारिता सटीक..Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-19696456093993136842009-11-13T22:35:59.020+05:302009-11-13T22:35:59.020+05:30चलिये एक बात का तो आश्वासन हो गया कि चूरन चटनी बेच...चलिये एक बात का तो आश्वासन हो गया कि चूरन चटनी बेच कर अगर पच्चीस रुपये रोज बचा लिये तो रिक्शा तो अपना हो जाएगा। हमारे जैसे खानाबदोशों के लिये नया शब्द हो जाएगा "रिक्शाबदोश"<br />सुन्दर पोस्ट रहीडॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)https://www.blogger.com/profile/13368132639758320994noreply@blogger.com