tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post9010916879542157062..comments2024-03-11T14:40:54.290+05:30Comments on बतंगड़ BATANGAD: तलाक ले लो, तलाकBatangadhttp://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-18621087383158498982010-07-02T12:30:23.096+05:302010-07-02T12:30:23.096+05:30विचारणीय आलेखविचारणीय आलेखसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-86512823332154981972010-07-01T22:46:57.522+05:302010-07-01T22:46:57.522+05:30आप की इस रचना को शुक्रवार, 2/7/2010 के चर्चा मंच क...आप की इस रचना को शुक्रवार, 2/7/2010 के चर्चा मंच के लिए लिया जा रहा है. <br /><br />http://charchamanch.blogspot.com <br /><br />आभार <br /><br />अनामिकाअनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-89446858712047840342010-06-30T11:45:33.759+05:302010-06-30T11:45:33.759+05:30'सवाल यही है कि हम जब विवाह, परिवार नाम की संस...'सवाल यही है कि हम जब विवाह, परिवार नाम की संस्था का कोई विकल्प नहीं खोज सके हैं तो, फिर इस मजबूत संस्था को पहले ढहा देने की कोशिश क्यों कर रहे हैं। पश्चिमी समाज से नकलकर लाई गई इनएविटेबल ब्रेक अप थियरी ही है कि वहां की सरकारों को ओल्डएज होम पर बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है। '<br /><br />- बिलकुल सही निष्कर्ष. आज भारतीय समाज में 'परिवार और रिश्तों' को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है, न कि उसे तोड़ने की.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-59259997896250799312010-06-30T08:56:12.790+05:302010-06-30T08:56:12.790+05:30आदरणीय दिनेश जी, आप अपनी असहमतियों को विस्तार से ब...आदरणीय दिनेश जी, आप अपनी असहमतियों को विस्तार से बताएं तो अच्छा हो। इस कानून की विशेषता को ठीक से समजने में भी मदद करें तो और अच्छा हो।<br /><br />मुझे मोटे तौर पर हिन्दू समाज में विवाह नामक संस्था में बहुत सी अच्छाइयाँ दिखती हैं। जिन बातों के लिए इसकी आलोचना होती है उनका समाधान शायद इसके बाहर भी नहीं है। स्वच्छन्द जीवन शैली के जो तनाव हैं उनका कोई समाधान नहीं दिखता।<br /><br />मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तो इस उपागम का सबसे बड़ा आधार इस परिवार और विवाह जैसी संस्था का स्थायी होना ही है। मुझे नहीं लगता कि इनके कमजोर होने के बाद हमारे समाज का स्वरूप ऐसा रह पाएगा।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-55305531548963575292010-06-29T16:03:43.523+05:302010-06-29T16:03:43.523+05:30लेख में उठाये बिन्दु महत्वपूर्ण हैं । संस्कृतियों ...लेख में उठाये बिन्दु महत्वपूर्ण हैं । संस्कृतियों के अन्तर पर तथाकथित प्रगतिशीलता का जोड़ नहीं लगाया जा सकता है । मननीय लेख ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-15071831298615885932010-06-29T14:29:53.691+05:302010-06-29T14:29:53.691+05:30कानून होने से लोग तलाक लेना चाहेगें.. तलाक की सेल ...कानून होने से लोग तलाक लेना चाहेगें.. तलाक की सेल लगने वाली है.... क्या तर्क है....रंजन (Ranjan)https://www.blogger.com/profile/04299961494103397424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-82279624535006651502010-06-29T13:53:43.750+05:302010-06-29T13:53:43.750+05:30इस आलेख के अनेक बिन्दुओं से असहमति है।इस आलेख के अनेक बिन्दुओं से असहमति है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com