tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post8917434716081440091..comments2024-03-11T14:40:54.290+05:30Comments on बतंगड़ BATANGAD: ऐसे संस्कारों को आग लगा दोBatangadhttp://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-23717689746680690642010-02-07T11:38:02.015+05:302010-02-07T11:38:02.015+05:30hey guys!
plz join this community on orkut to pro...hey guys! <br />plz join this community on orkut to protest against these dictators:<br />http://www.orkut.co.in/Main#Community?rl=cpp&cmm=98220745<br /><br />thnx!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-28549520674341763692009-09-22T19:20:14.999+05:302009-09-22T19:20:14.999+05:30देखिए प्यार तो गोत्र देखता नहीं है, और न ही किसी ख...देखिए प्यार तो गोत्र देखता नहीं है, और न ही किसी खाप से डरता है.. मैं तो कहता हूं इस घटना की ही तरह दस पंद्रह खुद को संस्कृति का रखवाला बताने वाले इस तरह मारे जाएंगे, तो समझ आ जाएगा। इतने साल इन लोगों ने जहर फैलाया है, अब जब सांप अपने ही जहर से मरने लगेगा फिर देखेंगे कि कितनी हिम्मत है खाप पंचायत और उसके गद्दीनशीनों में.. वैसे भी किसी की बेटी को मार देने का आदेश देने में दिल में कहां दर्द होता है, और वो भी जब हजारों बेवकूफ आपकी बात पर जान लेने को तैयार हों.. हर्ष जी ने सही लिखा, ये सचमुच दुखद और शर्मनाक था कि पुलिस के साथ अपनी बीवी को लेने पहुंचे युवक को मार दिया गया.. और इस तालिबानी घटना के खिलाफ सरकार ने क्या किया.. कुछ नहीं क्योंकि इन्ही वोटों से वो सरकार बनी है जो केंद्र में और राज्य में चल रही है... सेंट लगाकर डंडा मारने से कुछ नहीं होगा.. पूरा डंडा घुसा दें.. फिर देखें पंचायत होगी कि पंचायतनामा... वर्ना मरने दें बेचारी प्यार को सबकुछ मानने वाली अभागी लड़कियों को..Unknownhttps://www.blogger.com/profile/14365405001806529330noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-60426480961050656762009-09-22T09:57:14.086+05:302009-09-22T09:57:14.086+05:30आख़िर हम बुजुर्गों का सम्मान करना कब सीखेंगे? ये ह...आख़िर हम बुजुर्गों का सम्मान करना कब सीखेंगे? ये हमारे बुजुर्ग हैं इन्होने हममे से एक दो की जान भी ले ली तो क्या बिगड़ गया? समाज की परंपरा और पगड़ी बचाए रखने के ऐवज मे उनका इतना तो हक़ बनता है :)ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-83417244643621039982009-09-22T09:22:43.383+05:302009-09-22T09:22:43.383+05:30बिल्कुल सहीबिल्कुल सहीबवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-91101847187100211432009-09-22T01:21:48.854+05:302009-09-22T01:21:48.854+05:30that is a very sad situationthat is a very sad situationलावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-36552161289989206952009-09-21T21:42:57.525+05:302009-09-21T21:42:57.525+05:30dhaar daar lekh,sateek baat se dakiyanoosiapn par ...dhaar daar lekh,sateek baat se dakiyanoosiapn par chot.प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-46867990367269445652009-09-21T21:05:16.569+05:302009-09-21T21:05:16.569+05:30संस्कृ्ति,संस्कार और परम्परा जैसे शब्दों को तो सिर...संस्कृ्ति,संस्कार और परम्परा जैसे शब्दों को तो सिर्फ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है......नियम और परम्पराएं सदैव समय के साथ बदल जाया करते हैं। ये नहीं कि आज के युग में भी पुरातनपंथी परम्पराओं को ढोते चले जाएं.......Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-90933042821771376312009-09-21T20:40:42.904+05:302009-09-21T20:40:42.904+05:30हमेशा की तरह बिलकुल धारदार आलेख |
क्या कहें हमार...हमेशा की तरह बिलकुल धारदार आलेख | <br /><br />क्या कहें हमारे देश मैं कानून तो बने ही टूटने के लिए है | और टूटे भी क्यों नहीं, जब भारत का संविधान भारत का कम और ब्रिटेन या अन्य देशों के कानूनों की copy ज्यादा हो तो .... |<br /><br />खैर... , ऐसी घटनाओं का विरोध जारी रहना चाहिए ताकि भविष्य मैं दुहराई ना जाए |Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-56112111918031818622009-09-21T20:00:11.370+05:302009-09-21T20:00:11.370+05:30केन्द्र और राज्य सरकारों के नाक के नीचे संविधान की...केन्द्र और राज्य सरकारों के नाक के नीचे संविधान की धज्जियाँ उड़ाती यह खाप पंचायत यदि अबतक क्रिआयाशील और प्रभावशाली है तो यह हमारे नेताओं और सत्ता की कुर्सियों पर बैठे संवैधानिक पदाधिकारियों के लिए डूब मरने की बात है। यह कलंक-कथा प्रायः हर साल सुनायी देती है। जाने कितनी कहानियाँ अज्ञानता के अंधेरे में दफ़न हो जाती होंगी। इसका प्रतिकार अब उन्ही के बीच से आया है।<br /><br />यही अवसर है जब इस बुराई पर चारो ओर से हमला बोला जाय और इसका समूल नाश किया जाय। उसी प्रकार जैसे तमिल चीतों का हो गया है। राजनेताओं के संरक्षण पर लम्बे समय से अपनी काली करतूतों को चलाने वाला संगठन जब उन्हीं के लिए खतरा बन गया तो सत्ताशक्ति ने उनका समूल नाश कर दिया। इस खाप का खात्मा भी अब जरूरी है। वोट की खातिर इनका संरक्षण अब बन्द होना चाहिए।<br /><br />अब समय आ गया है जब सभी मिलकर इस आदमयुगीन जंगली कानून को मिटा दिया जाय। आपका यह आलेख उस दिशा में एक ठोस कदम माना जा सकता है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-44350940428237557042009-09-21T19:41:58.848+05:302009-09-21T19:41:58.848+05:30Parmpra ke nam kisi ki hatya kar dena jaghnya apra...Parmpra ke nam kisi ki hatya kar dena jaghnya apradh hai or Ye kisi bhi sabhya samaj ki parampra nahi ho sakti.......Easa bilkul nahi hai ki hariyana me sab kuch enhi khapo ke esaro per chalta hai......Kisi bhi rajnaitik ya samajik muddho per en khapo ne koi jan aandolan nahi kiya hai......Easa bhi nahi hai gotra khap ke kahane per koi bahut bada parivartan hua ho......Digital Storieshttps://www.blogger.com/profile/08842049157774916320noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-29949223466781958432009-09-21T19:35:36.136+05:302009-09-21T19:35:36.136+05:30ये जगहें कहां हैं - स्वात घाटी में?ये जगहें कहां हैं - स्वात घाटी में?Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-78413090480787987322009-09-21T13:11:51.046+05:302009-09-21T13:11:51.046+05:30आज आप को बहुत बहुत बधाइयाँ। इस समस्या पर खुल कर लि...आज आप को बहुत बहुत बधाइयाँ। इस समस्या पर खुल कर लिखने के लिए। यह कौन सी परंपरा है। शास्त्र कहते हैं कि गोत्रों का पुनर्निधारण तेरह पीढ़ियों के उपरांत हो जाता है। लेकिन यहाँ गांव की गांव में शादी संभव नहीं है। बदलाव दुनिया का नियम है। उत्पादन की तकनीक मनुष्य और समाज को बदलती है। यह संभव ही नहीं कि जाट बदलाव से अलग रह जाएँ। बाँध पानी को रोकता है। लेकिन जरूरत के माफिक ही। ज्यादह रोकने की कोशिश करे तो पानी बांध को तोड़ डालता है। यह वैसा ही प्रतिकार है। अब तो खापों को कुछ समझ आ जाना चाहिए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-27871762670746956092009-09-21T12:44:38.729+05:302009-09-21T12:44:38.729+05:30बहुत सही लेख लिखा है। टिकैत जी ने तो यहाँ तक भी कह...बहुत सही लेख लिखा है। टिकैत जी ने तो यहाँ तक भी कहा था कि केवल वैश्याएँ अपने साथी चुनती हैं। उन्होंने न जाने कितनी स्त्रियों को यह कहकर वैश्या कह डाला है। खैर शायद जिसे वे भली कहें उसे अपमानित महसूस करना चाहिए।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-87226373575541203222009-09-21T12:13:10.165+05:302009-09-21T12:13:10.165+05:30संस्कृति-संस्कार के रक्षकों जिस तरह से तुम लड़कियो...<b>संस्कृति-संस्कार के रक्षकों जिस तरह से तुम लड़कियों को मार रहे हो- उसमें कोई रास्ता तो बच नहीं रहा है।</b><br />बिल्कुल सही कहना है आपका !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-7802184522843401832009-09-21T11:38:00.834+05:302009-09-21T11:38:00.834+05:30हर्षवर्हन जी, बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है ये. 21 व...हर्षवर्हन जी, बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है ये. 21 वीं शताब्दी में भी समाज के कुछ् हिस्से परम्परा के नाम पर दकियानूस बने हुये हैं और शिक्षा का कोई प्रभाव नहीं दीखता.डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/01678807832082770534noreply@blogger.com