tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post827769287672743316..comments2024-03-11T14:40:54.290+05:30Comments on बतंगड़ BATANGAD: नक्सलियों से आखिरी लड़ाई जरूरीBatangadhttp://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-61169220038832988122010-05-21T21:25:13.790+05:302010-05-21T21:25:13.790+05:30कितने ही सुविधाभोगी हिन्दी ब्लॉगर नक्सल के पक्ष मे...कितने ही सुविधाभोगी हिन्दी ब्लॉगर नक्सल के पक्ष में टर्राते रहते हैं। उनके ब्लॉग पर सब साधुवादी टिपेरते हैं बार्टर में।<br /><br />:)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-11734964067966600212010-05-20T13:21:12.616+05:302010-05-20T13:21:12.616+05:30घोर सहमति तो है लेकिन हर चैनल पर बैठा नक्सल की ...घोर सहमति तो है लेकिन हर चैनल पर बैठा नक्सल की <br />बोली को भी दबाने में नाकाम सरकार गोली कैसे वर्षाएगीसंजय शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06139162130626806160noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-60144850159924913922010-05-20T09:34:03.288+05:302010-05-20T09:34:03.288+05:30सही कहा आपने , अब यही मसय उचित है , कहीं ऐसा ना हो...सही कहा आपने , अब यही मसय उचित है , कहीं ऐसा ना होकि देर हो जाये ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-9616181554943005182010-05-20T06:24:24.063+05:302010-05-20T06:24:24.063+05:30बहुत अच्छा आलेख है, बधाई! झंडा या नाम बदल लेने स...बहुत अच्छा आलेख है, बधाई! झंडा या नाम बदल लेने से आतंकवादियों के कुकर्म नहीं बदलते हैं. निर्दोष नागरिकों की रक्षा और विकास किसी भी प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-80675856922906098662010-05-19T21:36:14.452+05:302010-05-19T21:36:14.452+05:30सर, सही कहा है आपने.. नक्सलवाद अब कहीं से भी विचार...सर, सही कहा है आपने.. नक्सलवाद अब कहीं से भी विचारों की लड़ाई नहीं रह गई है। अगर सिर्फ विचारों,हक और सही मुद्दों की लड़ाई होती तो शायद अब तक नक्सिलियों के आकाओं को ये बात समझ में अच्छी तरह से आ गई होती कि बातचीत के जरिए ही इसका हल मुमकिन है। लेकिन न तो वो बात करने को तैयार हैं और न ही कभी तैयार होंगे। सच ये है कि कुछ मुट्ठी भर लोग ही हजारों नक्सलियों के कंचों पर बंदूक रखकर चला रहे हैं। लेकिन विकृत हो चुके दिमागों को कहीं से भी मासूम करार नहीं दिया जा सकता अगर उनकी हरकतें वहीं है जो कि आतंक फैलाने वाला एक शख्स करता है। इस समस्या का हल यही है कि सरकार उन्हें बेगुनाहों का खून बहाने वालों का गुनहगार माने और उनके साथ वही सलूक करे जो कि एक आतंकवादी के साथ किया जाना चाहिए। शायद आखिरी रास्ता यही होगा..अभिषेक सत्य व्रतमhttps://www.blogger.com/profile/04240677882157154034noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-20182194225813810302010-05-19T20:39:49.660+05:302010-05-19T20:39:49.660+05:30सही कह रहे हैं,सहमत.सही कह रहे हैं,सहमत.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.com