tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post8209816691507021772..comments2024-03-11T14:40:54.290+05:30Comments on बतंगड़ BATANGAD: दुनिया के 200 अच्छे विश्वविद्यालयों में एक भी भारत का नहीं हैBatangadhttp://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-70046661493395589622007-11-21T11:07:00.000+05:302007-11-21T11:07:00.000+05:30is tark ko mananaa mere liye bahut mushkil hai kii...is tark ko mananaa mere liye bahut mushkil hai kii achche teachers nahii mil rahae hai. higher education me selection kii process bahut hii bhrast hai. ristenate daaron aur jii hazoorii karanewalon ko hii vahan jagah miltii hai. mere bahut se jaankar lautnaa chahte hai par koi ummeed nahi dikhtii. kuch apvaad bhii milte hai, isase na nahii kiyaa ja saktaa par ye daal me zeera jaisaa hai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-70613617138209994202007-11-19T08:06:00.000+05:302007-11-19T08:06:00.000+05:30आमतौर पर यही माना जाता है कि भारत में प्रारंभिक शि...आमतौर पर यही माना जाता है कि भारत में प्रारंभिक शिक्षा की हालत भले ही ख़राब हो, उच्चतर शिक्षा में ज़रूर हमारी स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर के क़रीब है। लेकिन इस नए तथ्य ने भारत में शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा का एक और चेहरा प्रस्तुत किया है। दुखद ये है कि इसमें सुधार की कोई कोशिश भी फिलहाल कहीं शुरू होती नहीं दिखती।भुवन भास्करhttps://www.blogger.com/profile/04695143329018446492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-78763808392189577842007-11-19T00:12:00.000+05:302007-11-19T00:12:00.000+05:30लोगों में ये धारणा है कि भारत में शिक्षा का स्तर ब...लोगों में ये धारणा है कि भारत में शिक्षा का स्तर बहुत ही अच्छा है तभी तो बाहर से भी बहुत से विद्यार्थी यहाँ पढ़ने के लिये आते हैं। मुझे तथ्य नहीं मालूम लेकिन अगर ऐसा है तो बाहर से लोग कोई मैट्रिक, बीए करने तो आते नहीं होंगे। शायद मैडिसन, मैनेजमेंट करने आते होंगे। ये सब शिक्षाएं भारत में अंग्रेज़ी में हैं, पुस्तकें भी अधिकतर विदेशी लेखकों की ही होती हैं। तो जब कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों जैसा ही है (curriculum, books) तो क्यों न बाहर लोग यहाँ सस्ती शिक्षा प्राप्त करने आयेंगे। अंग्रेज़ी उनकी तो मातृभाषा ही है, और भारतीय छात्र सब कुछ अंग्रेज़ी में पढ़ने को मजबूर, उनके सामने अपने ही देश में उल्लूओं की तरह महसूस करते होंगे। आखिर हमारे देश में उच्च शिक्षा भारतीय भाषाओं में क्यों उपलब्ध नहीं हो सकती। भारतीय भाषा में पढ़ने का यह मतलब तो नहीं होगा कि छात्रों को अंग्रेज़ी नहीं आयेगी। लेकिन जब तक ऐसा रहेगा हमारे अधिकतर तथाकथित पढ़े लिखे दुकान पर बैठने लायक ही रहेंगे।Baserahttps://www.blogger.com/profile/08365898829052109147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-84344353505452663352007-11-18T23:46:00.000+05:302007-11-18T23:46:00.000+05:30प्रिय हर्ष,मैं ने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दो दशाब्...प्रिय हर्ष,<BR/><BR/>मैं ने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दो दशाब्दी एक विश्वविद्यालय में बिताये थे (विद्यार्थी, शोध छात्र, यूजीसी विसिटंग प्रोफेसर). मेरा मन तब रोता था.<BR/><BR/>इन संस्थानों को हम ने ही बर्बाद किया है. अब कम से कम 50 साल लगेंगे इस नुक्सान की भरपाई करने में -- शास्त्री <BR/><BR/>हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.<BR/>हर महीने कम से कम एक हिन्दी पुस्तक खरीदें !<BR/>मैं और आप नहीं तो क्या विदेशी लोग हिन्दी <BR/>लेखकों को प्रोत्साहन देंगे ??Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-31398789704702932922007-11-18T21:47:00.000+05:302007-11-18T21:47:00.000+05:30बहुत पहले कभी पढ़ा था कि संसद में एक बार शिक्षा के ...बहुत पहले कभी पढ़ा था कि संसद में एक बार शिक्षा के लिए बजट बढ़ाने को बहस हो रही थी. उस वक्त किसी मंत्री ने यह कह कर इसके खिलाफ तर्क दिया था कि यह Non refundable expenditure है. इसे ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता. तो ऐसे में आप हमारे देश के उच्च शिक्षा संस्थानों के बेहतर होने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं. अधिकांश युनिवर्सिटीज़ में कोई अकादमिक स्तर नाम की चीज लही नहीं है. मेरे शहर की युनिवर्सिटी को केंद्रीय दर्जा देने के लिए बड़ी राजनीति हो रही है. शायद मिल भी जाएगा पर उसके स्तर में कोई सुधार नहीं होने वाला यह मैं अभी से जानता हूं. हमपेशा जो ठहरा.पर्यानादhttps://www.blogger.com/profile/15618107830101324791noreply@blogger.com