tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post7722298845338547619..comments2024-03-11T14:40:54.290+05:30Comments on बतंगड़ BATANGAD: बिहार को बरबादी-बदनामी से रोकने का आखिरी मौकाBatangadhttp://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-48033558280991664262007-11-04T12:15:00.000+05:302007-11-04T12:15:00.000+05:30बिहार में राजनीति के अपराधीकरण का यह मामला कोई नया...बिहार में राजनीति के अपराधीकरण का यह मामला कोई नया नही है भाई , बिहार में ऐसी घटनाओं को आम घटनाओं की संज्ञा दी जाती है , बिहार के ही एक कवि डॉक्टर श्याम नंदन किशोर ने लिखा है कि -<BR/>स्व से ऊँचा चरित्र कठिन है,<BR/>राजनीति में मित्र कठिन है ,<BR/>किसी जुआरी के अड्डे पर -<BR/>वातावरण पवित्र कठिन है !<BR/>सही कहा आपने -बदलाव तो जनता ही करेगी!रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-9998544063609715542007-11-04T11:24:00.000+05:302007-11-04T11:24:00.000+05:30अरविंदजी हल निकालने के लिए ही जनता ने बिहार में बड...अरविंदजी <BR/>हल निकालने के लिए ही जनता ने बिहार में बड़ा बदलाव किया। लेकिन, नीतीश उस बदलाव को धो दे रहे हैं। देखते हैं बदलाव तो जनता ही करेगीBatangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-22099386165857065902007-11-04T11:22:00.000+05:302007-11-04T11:22:00.000+05:30पत्रकारों के पिटने का स्यापा तो मैं कर भी नहीं रहा...पत्रकारों के पिटने का स्यापा तो मैं कर भी नहीं रहा। कुछ पत्रकार भी अगर लालू-नीतीश और उनके बेलगाम राज के साथी नहीं रहते तो, इतना बेलगाम राज तो नहीं ही रहता। आपको भले ये साफ न दिख रहा हो। किसी एक पत्रकार के पिटने से कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन, जब लोकतंत्र के प्रतीकों पर हमला करके कोई व्यक्ति सबकुछ ढेंगे पर रखता दिखे तो, उस पर लोगों का आक्रोश अगर एक साथ दिख रहा है तो, उसे स्यापा कहके सुधार की संभावना धूमिल तो नहीं किया जा सकता।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-62925359288318088052007-11-04T05:17:00.000+05:302007-11-04T05:17:00.000+05:30फिक्र न करें - महापद्म नन्द और जरसन्ध के जमाने में...फिक्र न करें - महापद्म नन्द और जरसन्ध के जमाने में भी बिहार ऐसा बेलाग और बेलगाम रहा है। एनडीटीवी के पत्रकार तो आज पिटे हैं न। कई लोग युगों से पिटते पीटते आ रहे हैं। बहुत ज्यादा स्यापा न करिये।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-68271195105957702022007-11-04T01:54:00.000+05:302007-11-04T01:54:00.000+05:30बिहार की राजनीति एवं अपराधीकरण पर एक सटीक और सार्ग...बिहार की राजनीति एवं अपराधीकरण पर एक सटीक और सार्गर्भित टिप्पणी .<BR/><BR/>निश्चय ही लेख झकझोर गया . सोचने पर मज़बूर करता है आपका लेख.<BR/>परंतु मित्र, हल कहां है? क्या बिहार की समस्याओं का हल हम नीतिश या किसी अन्य व्यक्ति में खोज सकते हैं?<BR/><BR/>अशिक्षा, गरीबी ,भुखमरी ,बेकारी और इन सबसे ऊपर बैठा जातिवाद का राक्षस. शुरुआत ऊपर से ही करनी होगीडा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/01678807832082770534noreply@blogger.com