tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post2975990937525276238..comments2024-03-11T14:40:54.290+05:30Comments on बतंगड़ BATANGAD: 12 साल में कितना बदल गया हिंदू!Batangadhttp://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-61794192335898965512012-12-13T13:02:16.440+05:302012-12-13T13:02:16.440+05:30महाकुंभ के प्रबंधकों ने अपना दृष्टिकोण इस साधारण ‘...महाकुंभ के प्रबंधकों ने अपना दृष्टिकोण इस साधारण ‘लोगो’ के माध्यम से व्यक्त कर दिया है। वे इसे एक सामान्य कुम्भ मेला के रूप में देखना और संचालित करना चाहते हैं। इसे महाकुम्भ का दर्जा तो अपार संख्या में जुटने वाले स्नानार्थी देते हैं जो महाकुंभ के अवसर पर पचासगुना बढ़ जाते हैं। जब एक-डेढ़ करोड़ लोग इलाहाबाद पहुँचेंगे तो इन प्रबंधकों के पसीने छूट जाएंगे। हम तो ईश्वर से यही मना रहे हैं कि कोई बड़ी दुर्घटना न होने पाये।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-91979362904013470132012-12-13T13:00:20.943+05:302012-12-13T13:00:20.943+05:30महाकुंभ के प्रबंधकों ने अपना दृष्टिकोण इस साधारण ‘...महाकुंभ के प्रबंधकों ने अपना दृष्टिकोण इस साधारण ‘लोगो’ के माध्यम से व्यक्त कर दिया है। वे इसे एक सामान्य कुम्भ मेला के रूप में देखना और संचालित करना चाहते हैं। इसे महाकुम्भ का दर्जा तो अपार संख्या में जुटने वाले स्नानार्थी देते हैं जो महाकुंभ के अवसर पर पचासगुना बढ़ जाते हैं। जब एक-डेढ़ करोड़ लोग इलाहाबाद पहुँचेंगे तो इन प्रबंधकों के पसीने छूट जाएंगे। हम तो ईश्वर से यही मना रहे हैं कि कोई बड़ी दुर्घटना न होने पाये।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-69434391384087637952012-12-13T12:58:17.269+05:302012-12-13T12:58:17.269+05:30महाकुंभ के प्रबंधकों ने अपना दृष्टिकोण इस साधारण ‘...महाकुंभ के प्रबंधकों ने अपना दृष्टिकोण इस साधारण ‘लोगो’ के माध्यम से व्यक्त कर दिया है। वे इसे एक सामान्य कुम्भ मेला के रूप में देखना और संचालित करना चाहते हैं। इसे महाकुम्भ का दर्जा तो अपार संख्या में जुटने वाले स्नानार्थी देते हैं जो महाकुंभ के अवसर पर पचासगुना बढ़ जाते हैं। जब एक-डेढ़ करोड़ लोग इलाहाबाद पहुँचेंगे तो इन प्रबंधकों के पसीने छूट जाएंगे। हम तो ईश्वर से यही मना रहे हैं कि कोई बड़ी दुर्घटना न होने पाये।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.com