tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post142756069725583630..comments2024-03-11T14:40:54.290+05:30Comments on बतंगड़ BATANGAD: जनरल, ओबीसी, एससी/एसटी की फिर से पहचान होBatangadhttp://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-90650137636201347072007-06-04T17:44:00.000+05:302007-06-04T17:44:00.000+05:30शिक्षा, शहरीकरण और आधुनिकता के प्रभाव से जातियां म...शिक्षा, शहरीकरण और आधुनिकता के प्रभाव से जातियां मिट रही थीं, लेकिन आरक्षण के माध्यम से उसे जीवित रखना राजनेताॐ के अस्तित्व के लिए आवश्यक है. सकारात्मक राज्नीति करना इतना कठिन क्यो हो गया है. आरक्षण की पूरी व्यवस्था ही विभाजनकारी है, चुनावी फायदे के अनुसार किसी को भी पिछ्डा घोषित कर दिया जाता है. जातिगत चेतना बढती जा रही है, जातियां राष्ट्र केे भीतर राष्ट्र का रुप लेती जा रही हैं, पर किसे चिन्ता है.<BR/>आर्क्षण का एकमात्र आधार आर्थिक पिछडापन, या पिछ्डे क्षेत्र से होने जैसे वस्तुपरक कारक होने चाहिए, जन्म पर आधारित नहीं. अनुसूचित जाति में भी आरक्षण का लाभ सम्पन्न तबके को ही मिलता है. समतामूलक जातिहीन, धर्मनिरपेक्ष समाज की स्थापना के लिए आरक्षण की ओछी राजनीति से छुटकारा पाना जरुरी है.विशाल सिंहhttps://www.blogger.com/profile/09223766680957676922noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38914419.post-45859223072333667982007-06-04T16:20:00.000+05:302007-06-04T16:20:00.000+05:30कह तो सही रहे हो पर बिल्ली के गले में घंटी कौन बाँ...कह तो सही रहे हो पर बिल्ली के गले में घंटी कौन बाँधे ? वैसे मेरे विचार से एस सी जब तक मुख्य धारा में नहीं आ जाते आरक्षण के एकमात्र अधिकारी हैं ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.com